उत्तराखंड के युवाओं को तबाह कर रहा नशा, फिर भी नहीं बन पाया चुनाव का मुद्दा

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शराब, चरस और स्मैक के जरिये नशे के सौदागर उत्तराखंड की युवा पीढ़ी को बर्बाद करने पर तुले हैं। इसके बावजूद नशे का विधानसभा से लेकर लोकसभा तक चुनावी मुद्दा न बनना हैरान करता है।

प्रदेश की पांच लोकसभा सीटों पर खड़े किसी भी प्रत्याशी के एजेंडे में नशा है ही नहीं। यह हाल तब है जब उत्तराखंड में नशे के खिलाफ हुए आंदोलन ने वैश्विक पहचान बनाई थी।

करीब 40 साल पहले अल्मोड़ा के छोटे से गांव घुंगोली बसभीड़ा (चौखुटिया) से शुरू हुआ ऐतिहासिक नशा नहीं रोजगार दो, काम का अधिकार दो आंदोलन की गूंज ने सभी का ध्यान खींचा था। इसका नेतृत्व उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी के हाथों में था। उस दौर में शराब का विरोध स्थानीय नेताओं के लिए प्रमुख मुद्दा होता था। 1984 में शुरू हुए इस आंदोलन के चेहरे वाहिनी के अध्यक्ष शमशेर सिंह बिष्ट, सचिव पीसी तिवारी, यूकेडी नेता विपिन त्रिपाठी, प्रकाश बिष्ट समेत कई युवा आंदोलनकारी रहे। तब के आंदोलनकारी वर्तमान में उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी बताते हैं कि बसभीड़ा, चौखुटिया, मासी, भिक्यासैंण, सल्ट, स्याल्दे, द्वाराहाट, सोमेश्वर, रामनगर, गैरसैंण, गरमपानी, भवाली, रामगढ़, नैनीताल जैसे क्षेत्रों में आंदोलन का जबर्दस्त प्रभाव रहा। आंदोलन इतना प्रखर हो गया कि आंदोलनकारियों के जत्थों ने नशे के तस्करों के यहां छापे डालने, अवैध मादक पदार्थों के गोदाम ध्वस्त करने और तस्करों का मुंह काला कर बाजार में घुमाना शुरू कर दिया।

आंदोलन से डर कर नशे के बड़े व्यापारी रामंगा नदी के किनारे भागते देखे गए। 26 मार्च 1984 को शराब नीलामी के दौरान उग्र महिलाओं ने अल्मोड़ा कलक्ट्रेट में सारे सुरक्षा अवरोध ध्वस्त कर दिए। इसके चलते नीलामी रोकनी पड़ी। मई में अल्मोड़ा में सांसद से टकराव के बाद एक दर्जन आंदोलनकारियों पर मुकदमे हुए। मुकदमों के विरोध में जबर्दस्त प्रदर्शन किए गए।

क्या कहते हैं लोगनशा समाज की गंभीर
समस्या है। जिस उद्देश्य से सरकार ने नशा मुक्त उत्तराखंड अभियान चलाया है। उसे पूरा करने के लिए सख्ती से कदम उठाकर नशे को समाप्त करने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए। -राजीव घई, वरिष्ठ समाजसेवी और केडीएफ अध्यक्ष, काशीपुर

सरकार की नशा मुक्त उत्तराखंड की मुहिम शत प्रतिशत सफल होनी चाहिए। चुनावों में नशा बड़ा मुद्दा बनना चाहिए और इसे उत्तराखंड से पूरी तरह समाप्त किया जाना चाहिए। -आरके अरोरा, वरिष्ठ व्यापारी, काशीपुर

नशे के खिलाफ आंदोलन जारी है। शराब को सामाजिक मान्यता न देने, खलनायकों को नायक न बनाने, उनका महिमामंडन न करने की अपील की जाती रही है। इनकी संपत्ति को सरकार को जब्त करनी चाहिए। -पीसी तिवारी, अध्यक्ष, उपपा
नारे थे चर्चा में
आंदोलन के दौरान जो शराब पीता है परिवार का दुश्मन है
जो शराब बेचता है समाज का दुश्मन है, जो शराब बिकवाता है देश का दुश्मन है
नशे का प्रतिकार न होगा, पर्वत का उद्धार न होगा
जब गोल्ज्यू मंदिर में टंगी विशाल घंटी को हटाया गया…
चितई स्थित गोल्ज्यू मंदिर में टंगी शराब कारोबारी के नाम की विशाल घंटी को हटाया गया। बाद में उत्तराखंड जन अधिकार मंच के बैनर तले भी पहाड़ी जनमानस में पूर्व में शराब के खिलाफ आंदोलन तेजी से उभरे। गांवों में युवाओं के पास कोई काम नहीं होने से वह नशे के दलदल में फंसने लगे। इसका प्रतिकार करने के लिए पहाड़ी समाज उठ खड़ा हुआ था। इसी शराब के विरोध में पिथौरागढ के प्रखर छात्र नेता निर्मल पंडित जोशी को भी अपनी शहादत देनी पड़ी थी। अब गाहे-बगाहे महिलाएं शराब के खिलाफ मोर्चा खोलती नजर आती हैं लेकिन शराब से ज्यादा खतरनाक तो ये सूखा नशा हो गया है जो युवाओं की नशों में घुलकर उन्हें तबाह कर रहा है।
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विडंबना : नशे का कारोबार पर्वतीय जिलों में फल-फूल रहा
पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ पुलिस ने 2020 से अब तक लगभग 70 किलो से अधिक चरस बरामद कर लगभग 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। चरस के साथ ही अब स्मैक का कारोबार भी जिले में बढ़ रहा है। पिथौरागढ़ पुलिस ने तीन सालों में लगभग 223 ग्राम स्मैक बरामद की है, जिसमें 38 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।

अल्मोड़ा: वर्ष 2023 की शुरुआत से अब तक 6.219 किलो चरस, 272.661 किलो गांजा पुलिस ने बरामद किया। नशे के इस सामान को तस्कर जिले से मैदानी क्षेत्रों में पहुंचाने की फिराक में थे। जिले में 417.810 ग्राम स्मैक, 2.600 किलो अफीम बरामद हुई, इसे तस्करों ने मैदानी क्षेत्रों से यहां पहुंचाया। अब भी नशे का सामान मैदानी क्षेत्रों से यहां पहुंचाया जा रहा है और यहां से मैदान में उतारा जा रहा है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद से अब तक जिले में 380 पेटी से अधिक अवैध शराब भी बरामद हुई है। पुलिस के मुताबिक स्मैक और चरस के नशे की गिरफ्त में आने वाले ज्यादातर लोग युवा हैं।

चंपावत: एक साल में वर्तमान तक पुलिस ने ऑपरेशन क्रैकडाउन के तहत स्मैक, चरस, शराब और नशीले इंजेक्शन के मामले में 235 अभियोग दर्ज कर 267 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने जिले में पिछले एक साल में 1.198 किलो ग्राम से अधिक स्मैक की तस्करी के मामले में 70 मामले दर्ज कर 86, चरस की तस्करी करने पर 23 मामलों में 32 लोगों से 70 किलो से अधिक चरस पकड़ी है। 141 मामलों में 147 लोगों को गिरफ्तार कर 3758 अंग्रेजी, देसी, कच्ची और नेपाली शराब बरामद की है। एक मामले में दो अभियुक्तों को गिरफ्तार कर 600 नशीले इंजेक्शन बरामद किए गए हैं। इसके अलावा जिले में 413.72 नाली क्षेत्र में अवैध भांग की खेती नष्ट की है।

बागेश्वर: वर्ष 2019-2023 की अवधि में जिले में 89 मामलों में 119 किलो से अधिक चरस पकड़ी गई। 58 मामले स्मैक तस्करी के सामने आए। इस साल भी चरस तस्करी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। पांच जनवरी को बैजनाथ में 5.305 किलो चरस पकड़ी गई थी। 29 फरवरी को 43 ग्राम चरस पकड़ी गई।
नैनीताल जिले में इस साल बरामद नशीले पदार्थों की खेप
दर्ज केस 59
गिरफ्तार आरोपी 68
चरस 10 किलो
स्मैक 681.434 ग्राम
गांजा 111 किलो 556 ग्राम
इंजेक्शन 210

आबकारी विभाग की कार्रवाई का ब्योरा
केस दर्ज 331
गिरफ्तार आरोपी 337

जब्त लीकर का ब्योरा
अंग्रेजी शराब 3398 बोतल
देशी शराब 5133 बोतल
कच्ची शराब 5824 बोतल
बीयर 118 बोतल

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